BA Semester-5 Paper-1 Fine Arts - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 चित्रकला - भारतीय वास्तुकला का इतिहास - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 चित्रकला - भारतीय वास्तुकला का इतिहास

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2803
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 चित्रकला - भारतीय वास्तुकला का इतिहास - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय - 4

हिन्दू मन्दिर वास्तुकला

प्रश्न- भारतीय प्रमुख प्राचीन मन्दिर वास्तुकला पर एक निबन्ध लिखिए।

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. नागर शैली का परिचय दीजिए।
2. वेसर शैली की क्या विशेषताएँ हैं?

उत्तर -

भारत एक समृद्ध, सांस्कृतिक विरासत और विविधताओं वाला देश है। यहाँ के मन्दिर वास्तुकला से समृद्ध हैं। जिसकी शुरूआत सिन्धु घाटी सभ्यता के बाद से मानी जाती है। भारत के मन्दिर और अन्य वास्तुकलाओं में स्वदेशी सांस्कृतिक परम्पराओं, सामाजिक आवश्यकताओं और आर्थिक समृद्धि की झलक दिखाई देती है। इसलिए यहाँ की वास्तुकला कां अध्ययन भारत की विभिन्न सांस्कृतिक विविधताओं को प्रकट करता है। भारत की अधिकांश प्राचीन कलाओं को धर्म द्वारा प्रोत्साहित किया जाता रहा है।

गुप्तकाल की वास्तुकला

भारतीय उपमहाद्वीप में चौथी शताब्दी में गुप्त साम्राज्य के उदय के साथ ही एक नया युग प्रारम्भ हुआ, जिसे गुप्तकाल के नाम से भी जाना जाता है। भारत में गुप्तकाल में कला, साहित्य और वास्तुकला के क्षेत्र में अत्यधिक विकास हुआ। इस काल की मन्दिर वास्तुकला और मूर्तिकला तकनीकी और कला से परिपूर्ण थी। ईंट, चूना और पत्थर से मन्दिर निर्माण का चलन गुप्तकाल से ही शुरू हुआ था।

गुप्तयुग ने मन्दिर वास्तुकला के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय जोड़ा। भारत में शिल्पशास्त्र जैसे वास्तु ग्रन्थ इसी काल में लिखे गए थे। इसमें मन्दिर स्थापत्य कला की 3 प्रमुख शैलियों का उल्लेख है। नीचे गुप्तकाल की प्रमुख मन्दिर शैलियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी जा रही है-

नागर वास्तुशैली
द्रविड़ वास्तुशैली
वेसर वास्तुशैली

नागर शैली - नागर शैली हिमालय और विंध्य के बीच की भूमि से जुड़ी है और भारत के उत्तरी भागों में क्षेत्रीय रूप से विकसित हुई है। नागर शैली में 'नागर' शब्द की उत्पत्ति नगर से हुई मानी जाती है। इस शैली में, संरचना में दो इमारतें शामिल हैं, मुख्य लम्बा मन्दिर और एक निकटवर्ती मण्डप जो छोटा है। इन दोनों इमारतों के बीच सबसे बड़ा अन्तर शिखर के आकार का है। इस शैली के मुख्य मन्दिर में घंटी के आकार की संरचना जोड़ी जाती है।

नागर शैली के अंग

खजुराहो के मन्दिर नागर शैली में निर्मित हैं। इस शैली का प्रसार हिमालय से लेकर विंध्य पर्वत माला तक देखा जा सकता है।

वास्तुशास्त्र के अनुसार नागर शैली के मन्दिरों की पहचान, आधार से लेकर सर्वोच्च अंश तक इसका चतुष्कोण होना है। पूर्णत: विकसित नागर मन्दिर में गर्भगृह, उसके समक्ष क्रमशः अन्तराल, मण्डप तथा अर्द्धमण्डप प्राप्त होते हैं। एक ही अक्ष पर एक दूसरे से संलग्न इन भागों का निर्माण किया जाता है। |

शिल्पशास्त्र के अनुसार नागर मन्दिरों के आठ प्रमुख अंग हैं-

मूल आधार - जिस पर सम्पूर्ण भवन खड़ा किया जाता है।
मसूरक- नींव और दीवारों के बीच का भाग
जंघा - दीवारें (विशेषकर गर्भगृह की दीवारें) कपोत-कार्निस
शिखर - मन्दिर का शीर्ष भाग अथवा गर्भगृह का उपरी भाग
ग्रीवा - शिखर का ऊपरी भाग
वर्तुलाकार आमलक - शिखर के शीर्ष पर कलश के नीचे का भाग
कलश - शिखर का शीर्षभाग

नागर शैली के मन्दिर मुख्य रूप से चार कक्षों से बने होते हैं। वो हैं-

गर्भगृह
जगमोहन
नाट्यमन्दिर भोगमन्दिर

नागर शैली की दो विशिष्ट विशेषताएँ इसकी योजना और उन्नयन हैं। योजना वर्गाकार है जिसमें प्रत्येक पक्ष के बीच में कई क्रमिक अनुमान हैं जो इसे एक क्रूसिफॉर्म आकार प्रदान करते हैं। इसके चार प्रक्षेपण प्रकार हैं। जहाँ हर तरफ एक प्रक्षेपण - 'त्रिरथ', 'पंचरथ', 'सप्तरथ', 'नवरथ'। यह शिखर - A टॉवर को ऊँचाई में प्रदर्शित करता है, जो उत्तल वक्र में उत्तरोत्तर झुका हुआ होता है। योजना में अनुमानों को शिखर के ऊपर की ओर भी ले जाया जाता है। मूल रूप से नागर शैली में कोई स्तम्भ नहीं थे।

द्रविड़ शैली

9वीं-12वीं शताब्दी ईस्वी के बीच चोल साम्राज्य के दौरान द्रविड़ शैली दक्षिण में विकसित हुई। इसे कृष्णा और कावेरी नदियों के बीच के क्षेत्र में देखा जाता है। तमिलनाडु व निकटवर्ती क्षेत्रों में बने अधिकतर मन्दिर द्रविड़ शैली में ही बने हुए हैं। द्रविड़ मन्दिर स्थापत्य की दो सबसे महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ हैं-

गर्भगृह में मन्दिरों की 4 से अधिक भुजाएँ होती हैं। टावर या विमान पिरामिडनुमा होते हैं।

द्रविड़ शैली -

इस शैली में मन्दिर का आधार भाग वर्गाकार होता है तथा गर्भगृह के ऊपर का शिखर भाग प्रिज्मवत् या पिरामिडनुमा होता है। इन मन्दिरों में क्षैतिज विभाजन लिए अनेक मंजिले होती हैं।

द्रविड़ शैली के मन्दिरों के शिखर के ऊपरी हिस्से पर कलश की जगह स्तूपिका बनी होती है। इस शैली के मन्दिर काफी ऊँचे होते हैं और उनका प्रांगण भी बहुत बड़ा होता है, जिनमें कई कक्ष, जलकुण्ड और छोटे मन्दिर बने होते हैं।

इन मन्दिरों के प्रवेश द्वार को गोपुरम कहा जाता है। इनके प्रांगण में विशाल दीप स्तम्भ व ध्वज स्तम्भ के साथ कल्याणी या पुष्करिणी रूप में जलाशय होते हैं।

द्रविड़ शैली के मन्दिर के गर्भगृह के ऊपर बनी कई मंजिलों को विमान कहा जाता है। इस स्थापत्य शैली में स्तम्भों और खम्भों का बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है। द्रविड़ शैली के मन्दिरों में भक्तों को प्रदक्षिणा करने के लिए गर्भगृह (मुख्य देवता का कमरा) के चारों ओर गोलाकार मार्ग बना होता है। इससे सजावटी नक्काशीदार खम्भों वाला एक स्तम्भों वाला मण्डल हॉल भी होता है। इसकी संरचना ऊँची दीवारों से घिरे एक प्रांगण के भीतर होती है। कैलाशनाथ मन्दिर द्रविड़ वास्तुकला का एक प्रमुख उदाहरण है।

कैलाशनाथ मन्दिर

कैलाशनाथ मन्दिर, कांचीपुरम में स्थित है। इसे दक्षिण भारत के सबसे शानदार मन्दिरों में से एक माना जाता है। कैलाशनाथ मन्दिर कांचीपुरम का सबसे प्राचीन मन्दिर होने के साथ- साथ द्रविड़ स्थापत्य कला का एक अद्भुत नमूना भी है। इस मन्दिर का निर्माण पल्लव वंश के राजा नरसिंहवर्मन द्वितीय (राजसिंह) ने अपनी पत्नी के आग्रह पर करवाया था। इसका निर्माण आठवीं शताब्दी में हुआ था। इसे राजसिंह के पुत्र महेन्द्र वर्मन तृतीय ने बनवाया था। इसमें देवी पार्वती और शिव की नृत्य प्रतिमाएँ हैं।

वेसर शैली

वेसर शैली, कृष्णा नदी और विंध्य के बीच के क्षेत्र की मन्दिर निर्माण शैली है जो प्रारम्भिक मध्यकाल के दौरान उभरी थी। इस शैली के कई मन्दिर मध्य भारत और दक्कन के क्षेत्रों में बनाए गए थे। यह मन्दिर वास्तुकला की नागर और द्रविड़ दोनों शैलियों का एक मिश्रण है। इस शैली के मन्दिरों में टावरों की ऊँचाई कम होती है। बौद्ध चैत्यों के अर्ध- वृत्ताकार निर्माण भी इसी शैली से लिए गए हैं। इस शैली में संरचनाओं को बारीक रूप से तैयार किया जाता है और आकृतियों को बहुत सजाया जाता है और अच्छी तरह से पॉलिश किया जाता है।

वेसर शैली से जुड़े तथ्य

वेसर शैली, नागर और द्रविड़ शैली का मिश्रित रूप है। इसके निर्माण विन्यास में द्रविड़ शैली का तथा रूप में नागर शैली जैसे लगते हैं। चालुक्य वंश ने वेसर शैली कला को काफी प्रोत्साहन दिया था। इसलिए इस शैली के अधिकतर मन्दिर विंध्य पर्वत श्रृंखला और कृष्णा नदी के बीच मिलते हैं। कर्नाटक के चालुक्य वंश के मन्दिर वेसर शैली के माने जाते हैं। इन मन्दिरों का रूप विशिष्ट होता है।

उस समय के मन्दिरों में मूर्तियों को मध्य में रखा जाता था जिसके चारों ओर परिक्रमा मार्ग होता था। गुप्त काल के प्रारम्भ में मन्दिर जैसे साँची के बौद्ध मन्दिरों आदि की छत सपाट होती थी। बाद में इनके शिखरों की ऊँचाई धीरे - धीरे बढ़ती गई।

जैन और बौद्ध पंथ द्वारा कृत्रिम गुफाओं का निर्माण किया जाता था लेकिन हिन्दू मन्दिरों में वास्तविक गुफाएँ हुआ करती थीं। उस दौर में मन्दिरों में शिलाओं को काटकर गुफाएँ बनाई जाती थीं। 7वीं शताब्दी में अनेक मन्दिरों का निर्माण चट्टानों को काटकर किया गया था। इनमें चेन्नई के दक्षिण में पल्लवों द्वारा स्थापित महाबलिपुरम् विशिष्ट स्थान रखता है।

गुप्तकाल में हिन्दू मन्दिरों का महत्त्व और विस्तार काफी बढ़ा। इस दौर में बने मन्दिरों की बनावट पर गुप्त वास्तुकला का विशेष प्रभाव है। भारत के उड़ीसा और मध्य प्रदेश के खजुराहों में भी उत्कृष्ट वास्तुकला के नमूने देखने को मिलते हैं। उड़ीसा का करीब 1000 वर्ष पुराना लिंगराजा का मन्दिर वास्तुकला का सर्वोत्तम उदाहरण है। वहीं, कोणार्क का सूर्य मन्दिर इस क्षेत्र का सबसे प्रसिद्ध मन्दिर है। इसका निर्माण 13वीं शताब्दी में हुआ था।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- 'सिन्धु घाटी स्थापत्य' शीर्षक पर एक निबन्ध लिखिए।
  2. प्रश्न- मोहनजोदड़ो व हड़प्पा के कला नमूने विकसित कला के हैं। कैसे?
  3. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता की खोज किसने की तथा वहाँ का स्वरूप कैसा था?
  4. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता की मूर्ति शिल्प कला किस प्रकार की थी?
  5. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के अवशेष कहाँ-कहाँ प्राप्त हुए हैं?
  6. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता का पतन किस प्रकार हुआ?
  7. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के चरण कितने हैं?
  8. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता का नगर विन्यास तथा कृषि कार्य कैसा था?
  9. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता की अर्थव्यवस्था तथा शिल्पकला कैसी थी?
  10. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता की संस्थाओं और धार्मिक विचारों पर लेख लिखिए।
  11. प्रश्न- प्राचीन भारतीय वास्तुकला का परिचय दीजिए।
  12. प्रश्न- भारत की प्रागैतिहासिक कला पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  13. प्रश्न- प्रागैतिहासिक कला की प्रविधि एवं विशेषताएँ बताइए।
  14. प्रश्न- बाघ की गुफाओं के चित्रों का वर्णन एवं उनकी सराहना कीजिए।
  15. प्रश्न- 'बादामी गुफा के चित्रों' के सम्बन्ध में पूर्ण विवरण दीजिए।
  16. प्रश्न- प्रारम्भिक भारतीय रॉक कट गुफाएँ कहाँ मिली हैं?
  17. प्रश्न- दूसरी शताब्दी के बाद गुफाओं का निर्माण कार्य किस ओर अग्रसर हुआ?
  18. प्रश्न- बौद्ध काल की चित्रकला का परिचय दीजिए।
  19. प्रश्न- गुप्तकाल को कला का स्वर्ण काल क्यों कहा जाता है?
  20. प्रश्न- गुप्तकाल की मूर्तिकला पर एक लेख लिखिए।
  21. प्रश्न- गुप्तकालीन मूर्तिकला के विषय में आप क्या जानते हैं?
  22. प्रश्न- गुप्तकालीन मन्दिरों में की गई कारीगरी का वर्णन कीजिए।
  23. प्रश्न- गुप्तकालीन बौद्ध मूर्तियाँ कैसी थीं?
  24. प्रश्न- गुप्तकाल का पारिवारिक जीवन कैसा था?
  25. प्रश्न- गुप्तकाल में स्त्रियों की स्थिति कैसी थी?
  26. प्रश्न- गुप्तकालीन मूर्तिकला में किन-किन धातुओं का प्रयोग किया गया था?
  27. प्रश्न- गुप्तकालीन मूर्तिकला के विकास पर प्रकाश डालिए।
  28. प्रश्न- गुप्तकालीन मूर्तिकला के केन्द्र कहाँ-कहाँ स्थित हैं?
  29. प्रश्न- भारतीय प्रमुख प्राचीन मन्दिर वास्तुकला पर एक निबन्ध लिखिए।
  30. प्रश्न- भारत की प्राचीन स्थापत्य कला में मन्दिरों का क्या स्थान है?
  31. प्रश्न- प्रारम्भिक हिन्दू मन्दिर कौन-से हैं?
  32. प्रश्न- भारतीय मन्दिर वास्तुकला की प्रमुख शैलियाँ कौन-सी हैं? तथा इसके सिद्धान्त कौन-से हैं?
  33. प्रश्न- हिन्दू मन्दिर की वास्तुकला कितने प्रकार की होती है?
  34. प्रश्न- जैन धर्म से सम्बन्धित मन्दिर कहाँ-कहाँ प्राप्त हुए हैं?
  35. प्रश्न- खजुराहो के मूर्ति शिल्प के विषय में आप क्या जानते हैं?
  36. प्रश्न- भारत में जैन मन्दिर कहाँ-कहाँ मिले हैं?
  37. प्रश्न- इंडो-इस्लामिक वास्तुकला कहाँ की देन हैं? वर्णन कीजिए।
  38. प्रश्न- भारत में इस्लामी वास्तुकला के लोकप्रिय उदाहरण कौन से हैं?
  39. प्रश्न- इण्डो-इस्लामिक वास्तुकला की इमारतों का परिचय दीजिए।
  40. प्रश्न- इण्डो इस्लामिक वास्तुकला के उत्कृष्ट नमूने के रूप में ताजमहल की कारीगरी का वर्णन दीजिए।
  41. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत द्वारा कौन सी शैली की विशेषताएँ पसंद की जाती थीं?
  42. प्रश्न- इंडो इस्लामिक वास्तुकला की विशेषताएँ बताइए।
  43. प्रश्न- भारत में इस्लामी वास्तुकला की विशेषताएँ बताइए।
  44. प्रश्न- इण्डो-इस्लामिक वास्तुकला में हमें किस-किसके उदाहरण देखने को मिलते हैं?
  45. प्रश्न- इण्डो-इस्लामिक वास्तुकला को परम्परा की दृष्टि से कितनी श्रेणियों में बाँटा जाता है?
  46. प्रश्न- इण्डो-इस्लामिक आर्किटेक्ट्स के पीछे का इतिहास क्या है?
  47. प्रश्न- इण्डो-इस्लामिक आर्किटेक्ट्स की विभिन्न विशेषताएँ क्या हैं?
  48. प्रश्न- भारत इस्लामी वास्तुकला के उदाहरण क्या हैं?
  49. प्रश्न- भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना कैसे हुई? तथा अपने काल में इन्होंने कला के क्षेत्र में क्या कार्य किए?
  50. प्रश्न- मुख्य मुगल स्मारक कौन से हैं?
  51. प्रश्न- मुगल वास्तुकला के अभिलक्षणिक अवयव कौन से हैं?
  52. प्रश्न- भारत में मुगल वास्तुकला को आकार देने वाली 10 इमारतें कौन सी हैं?
  53. प्रश्न- जहाँगीर की चित्रकला शैली की विशेषताएँ लिखिए।
  54. प्रश्न- शाहजहाँ कालीन चित्रकला मुगल शैली पर प्रकाश डालिए।
  55. प्रश्न- मुगल वास्तुकला की विशेषताएँ बताइए।
  56. प्रश्न- अकबर कालीन मुगल शैली की विशेषताएँ लिखिए।
  57. प्रश्न- मुगल वास्तुकला किसका मिश्रण है?
  58. प्रश्न- मुगल कौन थे?
  59. प्रश्न- मुगल वास्तुकला की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
  60. प्रश्न- भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना कैसे हुई? तथा अपने काल में इन्होंने कला के क्षेत्र में क्या कार्य किए?
  61. प्रश्न- राजस्थान की वास्तुकला का परिचय दीजिए।
  62. प्रश्न- राजस्थानी वास्तुकला पर निबन्ध लिखिए तथा उदाहरण भी दीजिए।
  63. प्रश्न- राजस्थान के पाँच शीर्ष वास्तुशिल्प कार्यों का परिचय दीजिए।
  64. प्रश्न- हवेली से क्या तात्पर्य है?
  65. प्रश्न- राजस्थानी शैली के कुछ उदाहरण दीजिए।

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